अच्छा काम करके अच्छा महसूस होता हैं, अच्छे बनिए
किसी की मदद करके, किसी के साथ अच्छा व्यवहार करके, किसी भटके हुए को रास्ता दिखाकर, जो ख़ुशी मिलती हैं, वो शब्दों में बयां नहीं हो सकती। ये सब गुण एक अच्छे इन्सान में होती हैं। अच्छे लोगों को दुनिया में सबकुछ अच्छा ही लगता हैं, उन्हें अच्छा काम करने की आदत होती हैं। उन्हें इसके बदले में कुछ नहीं चाहिए होता, वो तो अच्छा काम करके बहुत खुश रहते हैं।
बुरे लोगों की परवाह न करें, उन्हें अच्छाई से परहेज हैं
फिर भी समाज में, कुछ लोग उनकी अच्छाई की आलोचना करते हैं। उस अच्छे इन्सान में उन्हें बुराई नज़र आती हैं। वो ये सोचते हैं की इसमें उसका कोई स्वार्थ निहित हैं। ऐसे किस्म के लोग, अच्छे व्यक्ति से अच्छाई छोड़ने को कहते हैं। उनसे कहते हैं, ये सब करके कुछ हासिल नहीं होगा, दुनिया जैसी है वैसी ही रहेगी।
सच तो ये हैं की, अच्छाई की अपनी ही एक खूबी हैं, ये वो दौलत हैं, जिसे जितना लुटाओ उतनी ही बढती जाती है। कोई आपके अच्छाई की प्रसंशा करें न करें, आप अच्छाई करते रहिये। क्योंकि इसका अच्छा फल भी आपको ही मिलेगा, इस जन्म में और अगले कई जन्मो तक। बुरे लोगों को परहेज हैं अच्छाई से, आप उनकी फिक्र न करे।
अपनी अच्छाई को बुराई की खातिर कभी मत छोड़िये
आपसे कोई कैसा भी व्यवहार करें, आप उसके साथ हमेशा अच्छा व्यवहार कीजिये। अगर वो अपनी बुराई नहीं छोड़ रहा, तो आप अपनी अच्छाई क्यों छोड़ दें। आपकी अच्छाई से एक दिन वो ज़रूर बदलेगा। अच्छाई का असर धीरे धीरे ही सही, पर गहरा और देर तक रहता हैं।
अच्छाई उस फूल की तरह हैं, जिसकी सुगंध वातावरण में फ़ैल जाती है। इसकी खुशबु सबको अपनी और आकर्षित करती हैं। अच्छे लोगों की ज़रूरत उस ईश्वर को भी हैं, वो दुनिया की भलाई के लिए, ऐसे ही अच्छे बन्दों की तलाश करते हैं।
अच्छा कर्म करने वालों को बिन मांगे ही सबकुछ मिल जाता हैं
अच्छाई करके, अच्छे कर्म करके, आपको उपरवाले से कुछ मांगने की ज़रूरत नहीं पड़ती। ईश्वर को स्वयं फल देना पड़ता हैं, क्योंकि भाग्य से ऊपर हैं कर्म। आपकी अच्छाई से जब भी किसी का भला होता है, तो उसकी दुआ आप तक पहुचती हैं। दुआओं में बहुत असर होता हैं, ये मौत को ज़िन्दगी में बदल देती हैं, हार को जीत में। अच्छाई वो ताक़त हैं जो आपके साथ हमेशा रहती हैं, आपकी रक्षा करती हैं।
अच्छे लोगों में और बुरे लोगों में क्या फर्क हैं ?
एक अच्छे इन्सान में और बुरे इन्सान में यही फर्क हैं की, अच्छा इन्सान अपने भले के साथ, दूसरों का भी भला सोचता हैं। वही एक बुरा इन्सान सिर्फ अपना भला सोचता हैं, चाहे किसी और का बुरा हो जाए। अगर सभी अच्छे लोग अपनी अच्छाई को छोड़ने लगे तो, समाज की तस्वीर कितनी भयावह होगी। ये दुनिया सिर्फ कुछ अच्छे लोगों की बदौलत ही बची हैं।
अच्छाई और बुराई हम सब में हैं, लेकिन हम बुराई के चक्कर में पड़ जाते हैं। बुराई का फल सिर्फ हमे नहीं, हमारे साथ वालों को, परिवार वालों को भी भोगना पड़ता हैं। एक बाप को अपने बेटे के बुरे और अच्छे कर्मो का फल मिलता हैं। हम जितना अच्छा करेंगे, हमारी बुराई उतनी ही कम होती चली जाएगी।
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इसलिए, अच्छाई करते रहिये, बुराई खुद ब खुद एक दिन किनारे लग जाएगी।
आपकी अच्छाई से अच्छे समाज का निर्माण संभव हैं
एक कामयाब और प्रगतिशील समाज का निर्माण सिर्फ अच्छे लोगों पर निर्भर हैं। एक अच्छा इन्सान औरो को अच्छाई के लिए प्रेरित करता हैं, वही बुरा इन्सान लोगों को बुराई के दलदल में धकेलता हैं। अगर संसार की तस्वीर बदलनी हैं तो सभी को अपने अन्दर अच्छाई भरनी होगी। अच्छाई को अपनाना होगा।
अगर हम सब एक दुसरे के साथ अच्छा व्यवहार करें, एक दुसरे के काम आये, किसी का बुरा न सोचें, तो दुनिया कितनी खुबसूरत हो सकती है? इसलिए अपनी अच्छाई को हमेशा अपने साथ रखिये, और दूसरों को भी अच्छा बनाइये।
Nice shyam g.