एम्बुलेंस को रास्ता देना मतलब ज़िन्दगी बचाना, पुण्य करना
5 मिनट की कीमत उससे पूछो, जिसने अभी अभी अपना भाई खोया हैं, अगर पांच मिनट पहले एम्बुलेंस मेडिकल पहुँच जाती तो, आज उसका भाई बच गया होता। यह किसी फिल्म का लिखा हुआ काल्पनिक दृश्य नहीं है, यह तो जीवन की कड़वी सच्चाई हैं। जिसका सामना उस बदनसीब को करना पड़ता हैं, जिसे तंग गलियों, हद से ज्यादा ट्रैफिक और बदहाल सड़कों से होकर, एम्बुलेंस के सहारे अस्पताल पहुचना होता हैं।
जब जान खतरे में होती हैं किसी की, तब उसके लिए एक एक सेकंड बहुत कीमती होता है। एम्बुलेंस के अन्दर का नज़ारा कुछ ऐसा होता हैं, रोगी ज़िन्दगी और मौत से लड़ रहा होता हैं, उसके रिश्तेदार दुआ कर रहे होते हैं, और इधर ड्राईवर की रेस होती हैं, ट्रैफिक के चक्रव्यूह से निकलकर अस्पताल तक पहुचने की।
एम्बुलेंस को रास्ता नहीं मिलने से जान माल का नुकसान
एक रिपोर्ट के अनुसार हर साल करीब 18000 लोग समय पर अस्पताल न पहुँच पाने के कारण अपनी जान गँवा देते हैं। जिसके लिए हर कोई ज़िम्मेदार हैं। वो बदहाल सड़कें, वो तंग गलियां जहाँ पर लोग अपनी गाड़ी पार्क करके छोड़ देते हैं, वो लोग जिन्हें इससे कोई मतलब नहीं होता की, जान से बढ़कर कुछ नहीं हैं, साईरन की घंटी से उनके कानो में जूँ तक नहीं रेंगती, या वो ट्रैफिक हवालदार जो किसी तरह उस जीवन वाहिनी गाड़ी को ज़िन्दगी का रास्ता दे सकता था।
यह नेक काम तो इंसानियत के दायरे में है, की जब भी किसी की जान खतरे में है तो सबसे पहला काम उसे बचाना है। ऐसा नहीं है की सभी लोग एम्बुलेंस को रास्ता नहीं देते हैं, कुछ लोगो में इंसानियत दिखती है जब वो इसे अपना फ़र्ज़ मानकर अपनी गाडी साइड में रोककर, एम्बुलेंस को रास्ता देते हैं। पर ऐसा फ़र्ज़ हर कोई क्यों नहीं निभाता? इंसान बने रहने की ज़िम्मेदारी क्या कुछ लोगो की है बस?
किसी की जान बचाना इंसानियत का काम है
जो भी लोग इस बात से परवाह नहीं रखते की एम्बुलेंस के अन्दर बैठा उनका कोई अपना नहीं है, उन्हें रास्ता देकर क्या होगा? ऐसी सोच वालें लोग इंसानियत के नाम पर कलंक हैं। एम्बुलेंस को रास्ता दीजिये, उसमें भले ही कोई आपका अपना नहीं हैं, पर हैं तो वो भी एक इंसान ही ना।
आप खुद को उसकी जगह रखकर देखेंगे तो समझ में आएगा, कितनी तड़प और बेचैनी होती हैं, जब किसी के साथ भी ऐसा होता हैं। अगर हम किसी के बुरे वक़्त में काम आ सके तो इससे बड़ा पुण्य क्या होगा? एम्बुलेंस के अन्दर जीवन और मौत से जूझ रहें इंसान को, रास्ता दीजिये, शायद वो बच जाए आपके इस कदम से, बाकी तो उपरवाले के ही हाथ में हैं।
अगली बार से जब भी कोई एम्बुलेंस आपके पीछे हो, आपसे साइड मांग रहा हो तो, उसे बिना देरी किये रास्ता दीजिये और किसी की ज़िन्दगी बचाने में उसका साथ दीजिये। यकीन मानिये, ऐसा करके आपको अपने इंसान होने पर गर्व महसूस होगा।