मज़बूरी, अन्धविश्वास या प्रतिशोध
पिछले दिनों गोरखपुर में एक माँ ने अपनी 8 महीने की बच्ची की हत्या कर दी। कारन इतना था कि वो भूख से रो रही थी और माँ के पास कुछ नहीं था खिलाने के लिए। उससे उस बच्ची का भूख के लिए तड़पना देखा नहीं गया। उसने अपने चुनरी से उसकी गला दबाकर हत्या कर दी। उस हत्यारिन माँ की 4 साल की बेटी ने उसे देख लिया। अगले दिन बच्ची के बयान को सुन कर पड़ोस और पुलिस के आँखों से भी आंसू आ गए।
कैसे कोई अपनों का कत्ल कर देता है?
ऐसी और भी तमाम घटनाये रोज़ घट रही हैं। कही गरीबी है तो कही मन में उठने वाली शंका। कही अन्धविश्वास की जड़ है जहाँ पूरा परिवार मौत को गले लगाता हैं ख़ुशी ख़ुशी। कोई मज़बूरी में ऐसा करता है कोई सोच समझकर।
कभी कभी बाप पूरे परिवार को ज़हर देकर पूरे परिवार को मार देता है। कभी नींद की गोली देकर बाद में मौत के घाट उनको उतार देता है। अपनों को मारने के लिए कैसे उसका मन इज़ाज़त देता है?
कभी ऑनर किलिंग एक वजह बन जाता है जहाँ अपना ही परिवार अपने लाडले को मार डालता है। कभी गैर सम्बन्ध के बीच आने वाला परिवार का कोई भी सदस्य बेमौत मारा जाता है। इंसान बेबस है या मजबूर है या उसके मन पर उसका नियंत्रण नहीं है?
क्यों बढ़ रही है ऐसी घटनाएं?
ऐसी घटनाओं से एक बात तो साफ़ है कि सिर्फ गरीबी ही नहीं गरीब मानसिकता भी अपनों की मौत की वजह हैं। नींद में सो रहा मासूम अपनों के हाथ हमेशा के लिए सो जाता है। एक बार ऐसी घटना घट जाए तो ये फिर वैसी घटनाओं में बढ़ोतरी दिखती हैं। लोगो को अपने समस्या से निजात पाने का ये खतरनाक कदम आसान लगता हैं। जहाँ आत्मा भी ग्लानि से भर जाता है। ऐसे आरोपी को कभी कभी तो पछतावे की जगह सुकून मिलता है।
आत्महत्या में इंसान अपने आपको मिटाता है पर ऐसे मामलों का क्या? ऐसी कौन सी परस्थिति या मज़बूरी हैं जो इंसान को अपनों का ही कातिल बना देती है?
एक आरोपी ने बयान दिया था कि उसे अपने परिवार को मारने का कोई दुःख नहीं। क्योंकि वो अपने परिवार को सबकुछ नहीं दे पा रहा था। क्या महँगाई और घटती आमदनी इसकी एक वजह नहीं?
आज इंसान की ज़रूरत उसके चादर से बाहर हो गए है। जिसे पूरा कर पाने में सभी समर्थ नहीं। इंसान अपनी ज़रूरत को देखें या बुनियादी सुविधा को पूरा करें?
घर भी सुरक्षित नहीं है आज।
आज बाहर के खतरों से ज़्यादा डर इंसान को अपने परिवार से लगता है। ऐसे परिवार से जहाँ कमी में गुज़र बसर चल रही है। या किसी के मन में शंका, प्रतिशोध या अपराध बोध है। कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन हत्या करना क्या उचित समाधान है?
परिवार हर किसी के लिए सबसे सुरक्षित स्थान है। पर आज के माहौल में बाहर से ज़्यादा डर घर में लगता है। क्योंकि रक्षक कब भक्षक बन जाए कोई नहीं जानता। फिर चाहे वो मज़बूरी हो या सोची समझी साजिश?