स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, खेल से जुड़ा उभरता करियर
आजकल किसी भी खेल में जैसे क्रिकेट, कबड्डी, फुटबॉल या हॉकी, प्रीमियर लीग से जुड़ गया है। ऐसे में खिलाड़ी के पास मौकों और काम की कमी नहीं हैं। अच्छा खेल खेलकर वो अपना और देश का नाम भी रौशन करते हैं।
अगर आप किसी भी खेल की अच्छी जानकारी रखते हैं तो आपका ये शौक आपका करियर बन सकता है। कैसे आप अपनी सेवा देकर नाम और दाम दोनों काम सकते हैं? आज के इस ब्लॉग में हम सबकुछ जानेंगे।
क्यों बढ़ रही है स्पोर्ट्स प्रोफेशनल्स की माँग?
इंडियन प्रीमियर लीग, हॉकी प्रीमियर लीग, इंडियन सुपर लीग, प्रो कबड्डी लीग जैसे टूर्नामेंट्स के साथ अब इस क्षेत्र में सिर्फ प्लेयर्स और अटेलेथेस की ही नहीं, बल्कि स्पोर्ट्स प्रोफेशन्सल्स की डिमांड बढ़ने लगी है।
उनका काम है मैच ऑर्गनाइज़ कराना, टीम के फाइनेंस को मॉनिटर करना, खिलाड़ियों को कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए निगोशिएट करना आदि।
अगर एक वाक्य में कहे तो, खेल से जुड़े हर स्तर पर नज़र रखते हुए, बिज़नस, फाइनेंस और इवेंट को सफल तरह से ऑर्गनाइज़ करना।
कैसे बनाये इस क्षेत्र में करियर?
इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए आपका खेल के प्रति लगाव सबसे ज़रूरी है। इसकी पढ़ाई आप बारहवी के बाद कर सकते हैं। आप कोई भी स्ट्रीम दसवी के बाद चुन सकते हैं।
विशेषज्ञ की सलाह है कॉमर्स स्ट्रीम। क्योंकि इसमें बिज़नस स्टडीज, इकोनॉमिक्स, एकाउंटेंसी की समझ काम आती हैं।
बी बी ए या स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में ग्रेजुएशन
इस क्षेत्र में आने के लिए 12 वीं के बाद स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में बी ए या बी बी ए करना होगा। तीन साल के प्रोफेशनल कोर्स में स्टूडेंट्स को स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की प्रैक्टिकल जानकारी मिलती है।
स्टूडेंट्स को स्पोर्ट्स प्रोफेशनल प्रोजेक्ट को प्रोफेशनल तरीके से हैंडल करने का मौका मिलता है। स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से जुड़ी अहम जानकारी, मार्केटिंग मैनेजमेंट, स्पोर्ट्स प्लांनिंग, स्पोर्ट्स फंडिंग, लॉ, एथिक्स, रिस्क मैनेजमेंट आदि पर फोकस करना सिखाया जाता है।
मास्टर्स डिग्री में है और भी ज़्यादा स्कोप
अगर आप इस क्षेत्र में और भी अधिक संभावनाएं तलाशना चाहते हैं तो पोस्ट ग्रेजुएशन करना सही कदम है।कुछ संस्थान स्पोर्ट्स मैनेजमेंट में ऍम बी ए, मास्टर्स डिग्री और डिप्लोमा करवाते हैं।
इस कोर्स में स्टूडेंट्स को ज़्यादा प्रैक्टिकल नॉलेज, जैसे मैनेजरियल स्किल्स सीखने को मिलता है। इसका फायदा वो स्पोर्ट्स मार्केटिंग, स्पोर्ट्स मीडिया और स्पोर्ट्स अपैरल से जुड़े जॉब में ले सकते हैं।
जॉब के हिसाब से तय होती है सैलरी
स्पोर्ट्स एजेंट्स
स्पोर्ट्स एजेंट का काम एथेलीट के क़ानूनी कॉन्ट्रैक्ट्स, उनके फाइनेंसेस और एंडोर्समेंट डील्स को हैंडल करना है। उनकी सैलरी उनके अनुभव, और किस खिलाड़ी के लिए वो काम कर रहे हैं। इस बात पर निर्भर करता है। वैसे सैलरी 25 हज़ार से लेकर 70 हज़ार तक प्रतिमाह हो सकती है।
स्पोर्ट्स इनफार्मेशन डायरेक्टर
यहाँ पर प्रोफेशनल्स का काम स्पोर्ट्स टीम और मीडिया आउटलेट्स के साथ जुड़ कर, पॉजिटिव मीडिया कवरेज करके पब्लिक रिलेशन्स को मजबूत बनाना है। एक्सपीरियंस के साथ आपकी सैलरी 40 से 70 हज़ार तक हो सकती है।
स्पोर्ट्स मार्केटिंग मेनेजर
यहाँ प्रोफेशन्सल्स अथेलट्स के साथ नहीं बल्कि स्पोर्ट्स कंपनी के साथ काम करती है। स्पोर्ट्स कंपनी जो टीम के साथ जुड़ी होती है।
स्पोर्ट्स को प्रोमोट, स्पांसर और ब्रांड लॉयल्टी को मेंटेन करना सबसे ज़रूरी काम है। स्पोर्ट्स मार्केटिंग मेनेजर के तौर पर आप 50 से 80 हज़ार तक प्रतिमाह कमा सकते। हैं।
स्पोर्ट्स इवेंट मेनेजर
इनका काम है, ऑडियंस और ब्रांड्स की पहचान करना, जिनके साथ जुड़ा जा सके। इसके साथ साथ इवेंट का वेन्यू प्लान, मेंटेनेन्स, स्टाफ, लोजिस्टिक्स और तकनीकी बारीकियों पर ध्यान रखना अहम है। औसत आय 36 हज़ार प्रतिमाह से शुरू जो अनुभव के साथ बढ़ती है।
कहाँ से करे स्पोर्ट्स मैनेजमेंट की पढ़ाई?
टॉप इंस्टिट्यूट्स बीबीए और बीए के लिए
नाशन्सल एकेडमी ऑफ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, मुम्बई जॉर्ज कॉलेज
कोलकाता मौलाना अब्दुल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी
प. बंगाल इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट ( आई आई एस एम)
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट, इंदौर
सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट स्टडीज, पुणे
ऍमबीए और मास्टर्स के लिए संस्थान
नेशनल एकेडमी ऑफ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट
मुम्बई इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल वेलफेयर एंड बिज़नस मैनेजमेंट
कोलकाता इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट
मुम्बई इंस्टिट्यूट ऑफ़ स्पोर्ट्स मैनेजमेंट
चेन्नई लक्ष्मीबाई नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ फिजिकल एजुकेशन, ग्वालियर।